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Showing posts from April, 2019

श्रीलंकाई धमाकों के पीछे नेशनल तौहीद जमात तो नहीं?

श्रीलंका में रविवार को करीब 300 लोगों की जान लेने वाले हमलों के तार नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) नाम के एक समूह से जुड़ रहे हैं. इस समूह के बारे में पहले बहुत कम लोग जानते थे. हालांकि एनटीजे या किसी और समूह ने अब तक इन सिलसिलेवार धमाकों की ज़िम्मेदारी नहीं ली है. फिर भी आरोप अपनी जगह हैं और एनटीजे को लेकर चर्चाएं हो रही हैं. एसएलटीजे से अलग होकर बना? सोमवार को श्रीलंका सरकार के प्रवक्ता ने जब पहली बार इस समूह का नाम लिया तो यह एक अनजाना नाम था. बताया जाता है कि यह समूह श्रीलंका के कट्टरपंथी इस्लामी समूह श्रीलंका तौहीद जमात (एसएलटीजे) से अलग होकर वजूद में आया है. एसएलटीजे भी बहुत चर्चाओं में नहीं रहा है लेकिन फिर भी उसके बारे में कुछ जानकारियां उपलब्ध हैं. एसएलटीजे के सचिव अब्दुल राज़िक को 2016 में बौद्ध लोगों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. बाद में उन्होंने इस पर माफ़ी भी मांगी थी. बीते दिसंबर में मध्य श्रीलंका के मॉनेला में बौद्ध मठों पर हुई तोड़फोड़ को भी कुछ रिपोर्टों में एसएलटीजे से जोड़ा गया था. उस वक़्त मठ के बाहर लगी बुद्ध की मूर्तियों को ...

कांग्रेस पार्टी की 'पोल-खोलने वाली BJP की चिट्ठी' फ़र्ज़ी? फ़ैक्ट चेक

लोकसभा चुनाव-2019 की दूसरे चरण की वोटिंग से पहले कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस पार्टी एक विवादास्पद चिट्ठी को लेकर भिड़ गये हैं जो कि फ़र्ज़ी बताई जा रही है. सूबे के गृह-मंत्री एमबी पाटिल ने पुलिस से इस चिट्ठी की लिखित शिकायत की है जिसपर ख़ुद उन्हीं के हस्ताक्षर हैं. एमबी पाटिल ने ट्वीट किया है, "ये लेटर फ़र्ज़ी है. मेरी संस्था के नाम का और मेरे हस्ताक्षर का ग़लत इस्तेमाल हुआ है. जिन्होंने भी ये जालसाज़ी की है और इसे छापा है, मैं उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करने वाला हूँ." कर्नाटक सरकार में होने के अलावा एमबी पाटिल 'बीजापुर लिंगायत डिस्ट्रिक्ट एजुकेशनल एसोसियेशन'(BLDEA) के अध्यक्ष भी हैं और इसी संस्था के कथित लेटर पैड पर छपी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम की एक चिट्ठी इस विवाद का कारण बनी है. मंगलवार सुबह कर्नाटक बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह चिट्ठी ट्वीट की गई थी. कर्नाटक बीजेपी ने अपने ट्वीट में लिखा, "कांग्रेस का पर्दाफ़ाश. सोनिया गांधी के सीधे निर्देश के तहत पूरे लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय को विभाजित करने की कोशिश. कां...

Führende Scientologen gehören zu den aktivsten Immobilienplayern der Stadt

Die Scientology-nahe Swiss Immo Trust AG aus Kaiseraugst ist eine wichtige Akteurin auf dem Basler Immobilienmarkt. Dabei geht die Firma nicht gerade zimperlich vor. Ein Firmengeflecht rund um die Swiss Immo Trust AG in Kaiseraugst war massgeblich an der Finanzierung der Scientology-Zentrale am Rande Basels beteiligt. Recherchen der TagesWoche zeigten, wie führende Personen in diesen Firmen mit ihren namhaften Spenden einen Grossteil des Sektentempels an der Burgfelderstrasse finanzierten. Doch nicht nur innerhalb des Basler Ablegers von Scientology ist dieses Unternehmen eine relevante Grösse. Wie unsere Datenauswertung zeigt, gehört die Swiss Immo Trust zu den wichtigsten Akteuren im Geschäft der Umwandlung von Mietwohnungen in Stockwerkeigentum. Die TagesWoche hat die im Kantonsblatt publizierten Handänderungen auf dem Basler Immobilienmarkt seit Mitte 2008 ausgewertet. Eine solche Transaktion beschreibt den Verkauf einer Immobilie. Naturgemäss geschieht dies bei der Umwandlun...

ना नौकरी, ना ज़रूरी शिक्षा, तो कैसे मिले रोज़गार- लोकसभा चुनाव 2019

''अगर 38 साल के पीएचडी धारक शख़्स को नौकरी नहीं मिल रही है तो इस पर सवाल होना चाहिए कि देश और राज्य का भविष्य क्या होगा?'' बेरोज़गारी के प्रभाव को लेकर सवाल पूछने पर महाराष्ट्र के नांदेड़ के रहने वाले चंद्रकांत गजभरे ने तपाक से ये जवाब दिया. चंद्रकांत पीएचडी कर रहे हैं और उन्हें पैसे कमाने के लिए ऑटोरिक्शा चलाना पड़ता है. चंद्रकांत 15 सालों से नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उनके पास समाज विज्ञान में एमए की डिग्री है. उन्होंने दो बार नेट-सेट की परीक्षा दी है और अब उनकी पीएचडी भी पूरी होने वाली है. फिर भी उनके पास एक निश्चति आय का ज़रिया नहीं है जिससे उनकी मूलभूत ज़रूरतें पूरी हो सकें. चंद्रकांत ने नौकरी के लिए हर तरह की कोशिश की. उन्होंने होटल में वेटर तक का काम किया. दूसरे शहरों में भी नौकरी ढूंढने की कोशिश की लेकिन किराये पर रहने के कारण उनके लिए पैसे बचाना मुश्किल हो गया था. इसलिए वो वापस नांदेड़ चले आए. उन्होंने दिन में ऑटो चलाने का कारण बताया. चंद्रकांत बताते हैं, ''मेरे जैसे लोगों के लिए शिक्षा ही जीने का एकमात्र रास्ता है. इसलिए मैंने उच्च शि...