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Showing posts from January, 2020

जानवरों की तरह बच्चे पैदा करना देश के लिए हानिकारक: शिया नेता - पांच बड़ी खबरें

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत के 'दो बच्चों का नियम' वाले बयान की कड़ी में एक शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा है कि आबादी पर नियंत्रण के लिए भारत में क़ानून लागू करना अच्छा होगा. समाचार एजें सी एएनआई के मुताबिक़, उत्तर प्रदेश शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसी म रिज़वी का कहना है, ''कुछ लोगों का कहना है कि बच्चे का पैदा होना कुदरती प्रक्रिया है और इसमें दख़ल नहीं दिया जाना चाहिए. लेकिन जानवरों की तरह बच्चे पैदा करना समाज और देश के लिए हानिकारक है. आबादी प र काबू के लिए क़ानून लागू करना देश के लिए अच्छा होगा.'' इस बयान से कुछ दिन पहले आरएसएस प्रमुख मो हन भागवत ने उत्तर प्रदेश में ही एक कार्यक्र म में कहा था कि 'आरएसएस की आगामी योजना देश में दो बच्चों का क़ानून लागू कराना है.' आरएसएस प्रमुख भागवत का कहना था कि ये योजना आरएस एस की है, लेकिन इस पर कोई भी फ़ैसला सरकार को लेना है. आंध्र प्रदेश की होंगी तीन राजधानियां आंध्र प्रदेश विधानसभा ने विपक्ष के भारी विरोध के बीच उस विधेयक को मंज़ूरी दे दी है जिसमें रा ज्य की तीन र...

कोयला बिजलीघर अब भी उगल रहे ज़हरीला धुंआं

दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण से भले ही लोगों का हाल बेहाल हो लेकिन कोयला बिजलीघर हानिकारक SO2 यानी सल्फ़र डाई ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन रोकने की समय सीमा का पालन करने में एक बार फिर फेल हो गये हैं. सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा में सल्फर नियंत्रक टेक्नो लॉजी लगाने में नाकाम रही बिजली कंपनियों ने अब कहा है कि उन्हें यह लक्ष्य हासिल करने के लिये करीब 3 साल और लगेंगे. दिल्ली के पड़ोस में स्थित यूपी, हरियाणा और पंजाब के कुल 11 कोयला बिजलीघरों को 31 दिसंबर 2019 तक सल्फ़र डाई ऑक्साइड को रोकने के लिये प्रदूषण नियंत्रक टेक्नोलॉजी लगानी थी जिसे फ्ल्यू गैस डी-सल्फ़राइजेशन या FGD कहा जाता है. लेकिन हरियाणा स्थित एक पावर प्लांट को छोड़कर बाकी किसी बिजलीघर ने इस आदेश का पालन नहीं किया. नियमों का पालन करने में नाका म कंपनियों में निजी क्षेत्र के पावर प्लांट भी हैं और सरकारी बिजलीघर भी. हैरान करने वाली बात इससे भी बड़ी और हैरान करने वाली बात ये कि राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को - जिन पर इन पावर प्लांट्स पर नज़र रखने की ज़िम्मेदारी है - यह पता ही नहीं है कि सरकार न...